FROM THE BLOGGER'S LIBRARY: REMEMBERING K. B. SAHAY: 25 (IN PICTURES)
1. If you see deeply in the palms of
your hand, you will see your parent and all generations of your ancestors. All
of them are alive in this moment. Each is present in your body. You are the
continuation of each of these people. -
THICH NHAT HANH.
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श्री कृष्ण बल्लभ सहाय का जन्म बिहार के शेखपुरा
ग्राम में हुआ था जो पटना- गया सड़क पर अवस्थित है। पिछले दिनों जब पटना गया तो शेखपुरा जाने का भी समय निकाला। बरसात के मौसम में गांव में जहाँ चहु ओर हरियाली थी वहीं सड़कें जर्जर। फिर भी हम यत्न कर शेखपुरा पहुँच ही गए। मेरे लिए यह किसी तीर्थ से कम नहीं था। गांव के एक किनारे से दरधा नदी बहती है जो बारिश के इस मौसम में उफान पर थी। कदाचित यही उफान ज़मींदारी उन्मूलन को लेकर कृष्ण बल्लभ सहाय के व्यक्तित्व में था जिसके आगे वे न तो ज़मींदारों के लठैतों से डरे और न ही कानूनी दावपेंच में पीछे हटे। पटना-गया राजकीय राजमार्ग से शेखपुरा गांव इस कच्ची सड़क से पहुँचना हुआ।
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जैसे जैसे गांव करीब आता गया कच्चे पक्के मकान मिलने लगे। यह गांव देश से किसी भी गांव से भिन्न नहीं है- फर्क सिर्फ इतना है कि इस गांव की मिटटी से ही "बिहार के लौह पुरुष" कृष्ण बल्लभ सहाय का राष्ट्रीय पटल पर ध्रुवतारा सा उद्भव हुआ था।
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अहाते में अवस्थित देवता घर गंगा गोपी
सदन जिसका निर्माण 2004 में हुआ जहां उनके जन्मदिन पर वार्षिक पूजा एवं सांस्कृतिक
कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं ।
गांव के मध्य में ही वह हाता है जहां कृष्ण बल्लभ सहाय के पूर्वजों का मकान था। घास फूस का वह मकान तो अब नहीं रहा किन्तु आज की तारीख में इस अहाते में कृष्ण बल्लभ सहाय के कुलदेवताओं का एक पूजा स्थल है। और साथ ही स्थापित है उनकी एक मूर्ति जो हमें अपने इस यशस्वी पुर्वज के याद दिलाता है। दूसरे छोर पर एक सामुदायिक भवन है जहां प्रत्येक वर्ष उनकी जन्म जयंती यानी इकतीस दिसंबर को सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
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देवता घर के भीतरी दीवार पर श्री कृष्ण बल्लभ
सहाय के पूर्वजों का वृतांत एवं पीढ़ीगत प्रगति अंकित है।आठ पीढ़ियों के इतिहास का गवाह है इस देवता घर के भीतरी दीवार पर अंकित यह वंश वृक्ष।
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अहाते में अवस्थित पुराना पीपल वृक्ष जो इस
स्थान के सदियों का इतिहास और गौरव का साक्षी है। पीपल के इस वृक्ष के नीचे कभी दरोगा साहेब यानी बाबु गंगा प्रसाद पूजा किया करते थे और यहीं उनका गांव के लोगों से मिलना जुलना होता था।
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पीपल वृक्ष के नीचे अवस्थित शिवलिंग जो कहते
हैं दरोगाजी (कृष्ण बल्लभ सहाय के पिता श्री गंगा प्रसादजी) ने स्थापित किया था। सावन के महीने में गांव के लोग आज भी शिव लिंग की पूजा अर्चना और जलाभिषेक करते हैं।
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अहाते के बीचो बीच श्री कृष्ण बल्लभ सहाय की प्रतिमा स्थापित है जिसे
"कृष्ण बल्लभ ग्राम विकास परिषद्” के अध्यक्ष और श्री सहाय के पोते श्री राजेश
वर्मा के प्रयास से 2009 साल में स्थापित किया गया।
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प्रतिमा के समक्ष शीलपट
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अहाते में अवस्थित सामुदायिक भवन जिसका निर्माण
सांसद विकास निधि से श्री विजय रंजन, सांसद के प्रयास से 2008 में हुआ।
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सामुदायिक भवन के समक्ष शीलपट।
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शेखपुरा गांव से विदा लेते वक़्त इसकी तंग गलियों से गुजरते हुए गांव के दूसरे छोर पर गांव का यह एकमात्र विद्यालय भवन और इस विद्यालय में विद्याध्ययन को जाते बच्चों को देख पर मन में यह विश्वास जगा कि निश्चय ही इस धरती से पुनः कृष्ण बल्लभ सहाय जैसी शख्शियत पुनः उभरेगा। इसी विश्वास के साथ मैंने शेखपुरा गांव से विदा लिया।
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बारिश के बाद शांत बह रही दरधा नदी चुपचाप पुनः पधारने का मानो निमंत्रण देती प्रतीत हुई। मैंने भी मन ही मन निमंत्रण स्वीकार करते हुए भारी मन से गांव को विदा कहा।
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